*"मेरा इश्क़-ए-जज़्बात इकतरफ़ा तो ना था,
तेरी आँखों ने भी कुछ तो इज़हार किया था।
ख़ामोशी में छुपे थे हज़ारों फ़साने,
तेरे लबों ने ना सही, दिल ने तो कबूल किया था।
तू चला गया चुपचाप, ये और बात है 'नैना',
मगर तेरे जाने से पहले, मोहब्बत ने साथ दिया तो था।"**