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mere nai kitab Darwaza: waqt ke us paar, Publish ho gai h aap sab padhe aur apna sujhao comment kr zaroor bataye Dhanyavad https://www.matrubharti.com/book/19982801/darwaza-waqt-ke-us-paar-1
Tere Lahze se thoda sa har baar m, khud ko khoti hu... Yun tera beganapan, kahi mera lot kr aana, na mushkil kr de - Naina Khan
"मेरी नयी किताब ‘Khamosh Mohabbat’ अब Matrubharti पर लाइव है! ये सिर्फ़ मोहब्बत की कहानी नहीं, वो खामोश एहसास हैं जो दिल से निकले हैं। पढ़िए और बताइए कैसा लगा! 📖👇 https://www.matrubharti.com/book/19982621/silent-love-1" "My new book ‘Khamosh Mohabbat’ is now live on Matrubharti! A silent journey of love and emotions — straight from the heart. Read it now and share your thoughts!
is everyone facing the same issue content are not getting published since 10 days?
**वक़्त के सितम कुछ कम न थे, हर मोड़ पर दर्द का पैग़ाम मिला। ऐसे टूट गई Naina ज़िन्दगी से, कि अब ख़ुद को संभालना भी आसान न रहा।**
*"मेरा इश्क़-ए-जज़्बात इकतरफ़ा तो ना था, तेरी आँखों ने भी कुछ तो इज़हार किया था। ख़ामोशी में छुपे थे हज़ारों फ़साने, तेरे लबों ने ना सही, दिल ने तो कबूल किया था। तू चला गया चुपचाप, ये और बात है 'नैना', मगर तेरे जाने से पहले, मोहब्बत ने साथ दिया तो था।"**
**वक़्त के मारे हैं हम, इतना सहा "नैना" कि अब दर्द भी शर्मिंदा है। इस ज़माने ने जो दिए ज़ख़्म, वो तो सह लिए, पर जब अपने ही निकले ज़हरीले, तब क्या करें?** **न कोई शिकवा, न कोई शिकायत अब बची है, भीड़ में खो गए चेहरे, और पहचान भी गई। ग़ैरों का दर्द तो भूल जाना आसान था, "नैना" पर अपनों की बेरुख़ी… रूह तक जल गई।**
**वक़्त के मारे हैं हम, हर मोड़ पे ठोकरें हमारी किस्मत बनीं। जब भी सोचा, अब संभलेंगे "नैना", फिर से ज़िंदगी ने जमीं दिखा दी।** **कभी ख़्वाबों में जले, कभी हकीकत में गिरे, हर मुस्कुराहट के पीछे एक दर्द छिपा लिए। काश फिर से बच्चे होते हम "नैना", रो लेते जी भर के… और कोई सवाल न किए।** - Naina Khan
सुबह की पहली धूप जब चेहरे पे मुस्कान लाती है, जैसे कोई दुआ चुपके से रूह को सहलाती है। फिज़ा में घुला होता है इक सुकून सा पैगाम, हर किरण में छुपा होता है खुदा का सलाम। नींद की चादर जब धीरे से उतरती है, उम्मीदों की लौ फिर से भीतर चमकती है। सुबह की ये धूप, बस धूप नहीं होती, ये तो ज़िंदगी की नयी किताब की पहली पंक्ति होती। - Naina Khan
बादल की चादर ओढ़े आसमां कुछ कहता है, ठंडी हवा का हर झोंका तेरा नाम लेता है। नैना, जब तू मुस्कुराती है इस मौसम में, लगता है जैसे बहारें भी तुझसे जलती हैं। बारिश की बूंदें तेरे एहसास में भीग जाती हैं, हर फिज़ा तेरी बातों में रंग जाती है। नैना, तू हो जैसे इस मौसम की रूह, तेरे बिना तो ये हवाएं भी अधूरी सी लगती हैं। - Naina Khan
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