मैं और मेरे अह्सास
जिंदगी के सफ़र
जिंदगी के सफ़र का लुफ़्त उठा लेना चाहिए l
प्यार को दोनों हाथों से लुटा देना चाहिए ll
चार दिन की जिंदगी में जी भरके जी लो ओ l
जो भी गिला शिकवा हो मिटा देना चाहिए ll
एक एक मुकाम हौसलों के साथ बिताकर l
बिना शिकायत जीकर दिखा देना चाहिए ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह