मैं और मेरे अह्सास
रिमझिम फुहार
रिमझिम फुहार में भीगने और भिगोने का दिल करता हैं l
बारिस की बूंदे तन मन में ताजगी की ऊर्जा को भरता हैं ll
यहीं लम्हें जो पूरी तरह से जीभर के जी लेने चाहिये l
वक्त प्रकाश से भी तेज रफ़्तार से आगे ही आगे सरता हैं ll
"सखी"
दर्शिता बाबूभाई शाह