रात का सन्नाटा
ये रात का सन्नाटा,
जब चाँद भी चुपके से झाँकता है,
और हवा भी धीमी सी सरगोशी करती है,
दिल में एक अजीब सी ख़ामोशी उतरती है।
जब शहर सो जाता है,
और तारों की रौशनी में,
कोई अपना सा याद आ जाता है।
जब आँखों में ख़्वाब पलते हैं,
और अनजाने से अहसास,
दिल की दीवारों पर दस्तक देते हैं।
जब हम ख़ुद से मिलते हैं,
और ज़िन्दगी के उलझे धागों को,
सुकून से सुलझाते हैं।