वो पल, वो एहसास बहुत ही खाश थे
जब...
बिना बोले खामोशियों से पता
कर लेते थे
मेरी ख़ुशी और गम..
याद हैँ मुझे वो लम्हा
जब तुमने मेरे अंदाज़े बयान से कह दिया
क्या राज़ दफ़न कर रखा हैँ
और वो पल मेरा ख़ामोशी से तुम्हे
चुप चाप देखते रह जाना....
काश....
खामोश तो अब भी हूँ
बस...
कोई सवाल करने वाला नहीं
- SARWAT FATMI