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SARWAT FATMI

SARWAT FATMI Matrubharti Verified

@sarwat
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मन कुछ उदास सा हैं
कुछ कहूँ या खामोश रहूं
रोना तो बहुत हैं
पर रोऊँ किस के लिए
समझने और समझाने के इस सिलसिले
से चोट कहाँ लगी
कभी आंशू चुपके से बहा कर
तो कभी अँधेरे मे बैठ कर ख़ामोशी से गुज़ारा हैं
- SARWAT FATMI

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उन्हें आदत थीं मुझे सताने की
बात बात पर नाराज़ करने की
पता ही नहीं चला
ये आदत, उनकी कब शौख बन गई
....
सोचा कभी मिलूंगी तो पूछूंगी
पर क्या...??
यह सवाल अब अकेले मे पूछ लेती हूँ
.....
- SARWAT FATMI

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उसने मुझे कभी याद ही नहीं किया
और मैं बेवकूफ़
यही आस मैं बैठी रह गई की
उन्हें मुझसे मोहब्बत हैं बेपनाह...
- SARWAT FATMI

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मुझे वजह नहीं चाहिए
तुम्हे हर पल याद करने के लिए
....
तुम तो मेरे वो ख्याल हो
जो मुझसे कभी दूर गया ही नहीं..
.....
- SARWAT FATMI

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मेरी सुकून भरी चाये ☕
जब दुनिया की बातों से थक जाती हूँ
अपनों की नज़रअंदाज़ से थक जाती हूँ
तब मेरी चाये ☕ही तो हैं
जो मुझे सुकून दे जाती हैं
कभी घंटो बैठ कर
2 से 4 cup ☕तो हो ही जाती हैं
नहीं समझना तो ठीक हैं
मैं और मेरी चाये ☕
हमेशा एक दूसरे को समझ ही जाते हैं ☕
- SARWAT FATMI

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वो पल, वो एहसास बहुत ही खाश थे
जब...
बिना बोले खामोशियों से पता
कर लेते थे
मेरी ख़ुशी और गम..
याद हैँ मुझे वो लम्हा
जब तुमने मेरे अंदाज़े बयान से कह दिया
क्या राज़ दफ़न कर रखा हैँ
और वो पल मेरा ख़ामोशी से तुम्हे
चुप चाप देखते रह जाना....
काश....
खामोश तो अब भी हूँ
बस...
कोई सवाल करने वाला नहीं
- SARWAT FATMI

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कुछ पल गुज़ारे थे हमने साथ
वो साथ याद कर के आँखे नम हो जाती हैँ
जब टूट कर खामोश बैठ जाती हूँ
तब तुम्हारा ख्याल आता हैँ
तुम्हारी छोटी छोटी आदतें मुझे
खुशियां दे जाती थीं
अब तो बस मेहज़ ख्याल बन कर
हर रोज़ खवाबो मे दीदार हो जाती हैँ
- SARWAT FATMI

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युही तेरा अचानक आ जाना
यह एक इत्तेफाक समझ लूं
या सोची समझी साजिश
हाला के यकीन तो पहले भी नहीं था
तुम्हारे वादों पर....
फिर क्यों मुझसे उम्मीद लगाए बैठे हो

- SARWAT FATMI

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मुझे अंधेरा पसंद नहीं था
एक डर सा लगता था
आज अंधेरों से अपनापन लगता है
धूप से आंखें जलने लगती थी
गुस्सा, एक चीड़ सी मच जाती थीं
पर आज वह मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुके है
घंटो अंधेरों मे बैठकर सोच लेती हूँ
तो कुछ सुना देती हूं तो कुछ सुन लेती हूँ
धुप मे मुस्कुरा लेती हूँ
तो कभी कुछ गुनगुना लेती हूँ
जिंदगी भी अजीब है दोस्तों
जिनसे जितना भागो
वो उतने ही आपके अपने बन जाते हैं
- SARWAT FATMI

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