प्रेम पारस है, जिसे छू ले उसे
कुंदन कर दे..
प्रेम इबादत है, जिसे हो जाएँ
उसे खुदा कर दे..
प्रेम सफर है, जिसे हो जाय उसे
मुसाफिर कर दे..
प्रेम तपस्या है, जिसे हो जाय
उसे फकीर कर दे..
प्रेम गजब है, जिसे हो जाये
उसे अजब कर दे....
- SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》