*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*मेघावरी, पतवार, तटबंध, घाट, धारावती*
आखिर *मेघावरी* ने, जून माह सौगात।
घन-वर्षा की बानगी, दिया ग्रीष्म को मात।।
नदिया रूठी नगर से, टूट गए *तटबंध*।
सागर में मिलने चली, हुआ प्रेम है अंध।।
*घाट*- घाट डूबे सभी, मन में अन्तर्द्वन्द्व।
रौद्र रूप दिखता कहीं, कहीं लोक प्रिय छंद।।
बलशाली मन-संतुलित, खेते हैं *पतवार*।
पार लगाता नाव को, कितनी भी हो धार।।
सूखी नद *धारावती*, बुझी धरा की प्यास।
हुए अंकुरित बीज सब, मन में जागी आस।।
मनोज कुमार शुक्ल 'मनोज'