मैं और मेरे अह्सास
चाय तो सिर्फ़ बहाना है बातें करने का l
जरिया है मन को खुशियों से भरने का ll
मोका भी है दस्तूर भी है साथ बैठ के l
खुशनुमा मौसम के नशें में सरने का ll
हरियाली छाई है बहुत दिनों बाद ये l
खूबसूरत शमा के लुफ़्त को हरने का l
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह