Kavita-1
मन की तिरंगा लहराते रहे
जिसे न रोक पाए कोई
हर रंग में छुपे हैं जीवन का सीख
जिसका समझ है कम लोगों के पास
लहराते तिरंगे की पहले वह रंग दर्शाता है मंजिल का मूल्य
जो बिछाता है मन में ख्वाबों का जाल
बना है यह जाल विश्वास की बुनियाद पर
जुनून की आंच से दृढ़
मन की तिरंगा लहराते रहे
लहराते तिरंगे की दूसरा वह रंग बनाता है हर आंसू को पत्थर सा मजबूत
जो न टूट पाए कभी
मन की तिरंगा लहराते रहे
लहराते तिरंगे के आखिरी वह रंग में
दिखती है हम स्वयं को मंजिल पाते हुए
मन की तिरंगा लहराते रहे