आपरेशन सिंदूर : खौफ का पर्याय
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यूँ तो हर सैन्य आपरेशन को एक नाम दिया जाता है
पर आपरेशन सिंदूर का नामकरण
हमारी माँ बहन बेटियों की भावनाओं से जुड़ा है।
कहने को तो केवल एक चुटकी सिंदूर ही तो है
इसे इतना महत्व देने की जरूरत क्या है?
तो सोचिए! जिस बहन बेटी का सुहाग उजाड़ा गया हो,
उसकी आँखों के सामने उसके जीवन साथी को
मौत के घाट उतारा गया हो,
ऊपर से तुर्रा ये कि जाकर मोदी को बता देना
बस यही बात मोदी के कलेजे में शूल सी चुभ गई,
यहीं से आपरेशन सिंदूर की नींव पड़ गई थी।
आपरेशन सफल से भी ज्यादा सफल हो गया
हिंदुस्तान का डंका बज गया,
यह ठीक है कि सब कुछ बड़ी आसानी से हो गया,
सरकार सेना ने जो किया उनका कर्तव्य था,
यह भी हम-आप मान सकते हैं
पर इसके पीछे हमारी मातृ-शक्तियों के
भावनात्मक संबल और उनके सिंदूर की ताकत का भी अनोखा बल भी सरकार, सेना और देश के साथ था।
कहने के लिए हम-आप कुछ भी कह सकते हैं
पर सिंदूर की ताकत को क्या नकार सकते हैं?
क्योंकि आपरेशन सिंदूर सिर्फ आपरेशन भर नहीं
देश में जाति-धर्म से ऊपर उठकर
राष्ट्रीय एकता की मिसाल बन गया,
देश का हर नागरिक इससे सीधे-सीधे जुड़ गया
जैसे अपनी माँ, बहन, बेटी की माँग
उजड़ने जैसा महसूस कर हिल गया,
सरकार की इच्छा शक्ति, सेना का शौर्य के साथ
देश की भावना और सिंदूर की अदृश्य शक्ति साथ मिलकर
आपरेशन सिंदूर नव इतिहास रच गया
हम सबसे ज्यादा, हमारी मातृ-शक्तियों को
सूकून का अहसास करा गया,
इतना ही नहीं देश में नया जोश भर गया
और आपरेशन सिंदूर दुश्मनों के लिए
खौफ का नया पर्याय बन गया।
सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र)