मुँह की बात सुने हर कोई, दिल के दर्द को जाने कौन....
आवाजों के बाजारों में खामोशी पहचाने कौन...सदियों सदियों वहीं तमाशा, रस्ता रस्ता लम्बी खोज...!!
लेकिन जब हम मिल जाते हैं तो जाने खो जाता है कौन...
वो मेरी परछाई है या मैं हूँ उसका आईना, मेरे ही घर में रहता है मुझ जैसा ही कौन...किरन किरन अलसाता सूरज, पलक पलक खुलती नींदे....!!
धीरे-धीरे बिखर रहा है..जर्रा जर्रा जाने कौन...!!❣️