“मेरी दुनिया लुट रही थी
और मैं खामोश था”
मेरी दुनिया लुट रही थी
और मैं खामोश था
टुकड़े टुकड़े दिल के चुनता
किस को इतना होश था
आँख में आँसू न थे और
जल रहा था दिल जिगर
रो रही थी हसरतें
चुप-चाप था मैं बेखबर
कैसे आता होश में
जो पहले ही बेहोश था
टुकड़े टुकड़े दिल के चुनता ...
करवाँ दिल का लुटा
बैठा हूँ मंज़िल के क़रीब
मैं ने खुद कश्ती डुबो दी
जाके साहिल के क़रीब
ये ज़मीं चुप-चाप थी
और आसमाँ खामोश था
टुकड़े टुकड़े दिल के चुनता ...
💕
- Umakant