Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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हास्य - यमराज का वादा
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अभी-अभी यमलोक से यमराज का फोन आया
क्षमा याचना के साथ बड़े प्यार फरमाया
प्रभु! गुस्सा करने के बजाय विचार कीजिएगा
फिर अपना मुँह खोलिएगा।
मैंने भी जवाब में फरमाया
अच्छा होगा घर ही आ जाइए श्रीमान।
साथ-साथ चाय पियेंगे
आमने-सामने बैठकर संवाद करेंगे।
बड़े भोलेपन से यमराज ने मेरा प्रस्ताव ठुकराया
और सीधे अपनी बात पर आया
और गंभीरता अपनी बात कहने लगा।
हूजूर! मान लीजिए आप मर गये
बिना किसी हील-हुज्जत के
मेरे साथ यमलोक आ गये
उसके बाद सोचिए! आपके अपने परिवार वाले
शुभचिंतक, अड़ोसी-पड़ोसी, रिश्तेदार, इष्ट मित्र
भला क्या करेंगे?
मैं भड़क गया और लगभग चीखते हुए बोला -
मगर मैं मरा तो नहीं हूँ न
तेरे साथ यमलोक भी नहीं पहुँचा हूँ न
फिर तेरे कहने सुनने पर भला कान ही क्यों दूँ?
अब तू फोन रख या मैं ही रख दूँ?
यमराज व्यंग्य भरे भाव से बोला -
वाह हहहहहहह प्रभु!
कब तक सच से मुँह चुराएंगे ?
सच का सामना करने से बचकर रह पाएंगे?
एहसान मानिए मेरा - जो समय पूर्व आगाह कर रहा हूँ,
जीते जी कल का वास्तविक दृश्य
आपको चुपचाप दिखाना चाह रहा हूँ,
इतना एहसान फरामोश तो पहले न थे आप
जो अपने सबसे प्यारे मित्र को दुत्कार रहे हैं।
वैसे भी तो मुझे फोन रखना ही है,
उससे पहले अपने मन की बात भी कहना है
आप मानो न मानो, पर मेरा वादा
आपकी यमलोक यात्रा में खूब रोड़े अटकाऊँगा।
आपको यमलोक ले जाने के लिए मैं खुद नहीं आऊँगा
अपने किसी चेले चपाटे की ड्यूटी लगाऊँगा
बड़ा घमंड है न आपको अपने आप पर
अब मैं भी आपको अपनी औकात दिखाऊँगा
यमलोक के द्वार पर आपको लंबा इंतजार करवाऊँगा।
अब यहीं से हमारी आपकी दोस्ती खत्म
यह बात दुनिया को चीख-चीख कर बताऊँगा,
यमराज और उसकी ताकत क्या है?
यह आपको ही नहीं दुनिया को भी कदिखाऊँगा
पर अफसोस आपकी यारी कभी भूल नहीं पाऊँगा
और दुबारा आपकी चाय पीने की तो बात छोड़िए
भूलकर भी मिलने नहीं आऊँगा,
विश्वास कीजिए प्रभु? अपना वादा जरूर निभाऊँगा
और आपको सच का आइना
देर सबेर जरुर दिखाऊँगा,
और तब आपको मैं बहुत याद आऊँगा।

सुधीर श्रीवास्तव

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111974952
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