मैं और मेरे अह्सास
बेनियाज़
रास्तें में सामने गर्दिशों का पहाड़ खड़ा हैं l
बेनियाज बेखौफ होके कारवाँ चल पड़ा है ll
आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जज्बातों ने l
मन के भीतर ख्वाबों अरमानों का दड़ा है ll
गुजिश्ता कर दी ख़ुद की भावनाओं को तो l
कई बार गुस्से में अपने आप से लड़ा है ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह