मैं और मेरे अह्सास
दस्तूर
दस्तूर ए मोहब्बत का राज तुम क्या जानो l
प्रथम मिलन रात का राज तुम क्या जानो ll
बोले हुए लब्ज़ तो सब समझ जाते हैं पर l
खामोश जुबान का राज तुम क्या जानो ll
दिल का जहाँ रोशन कर दिया जुगनुओं ने l
प्यार की सौगात का राज तुम क्या जानो ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह