"बातें अधूरी रही"
चांद रातों के सन्नाटों में
आप मेरा सिर चूमकर,
देर तलक सीने से लगाए ,
ये महामिलन ये आलिंगन,
ये मेरा आना तुझे याद होता !
मेरी चंचल आंखे मेरा खुबसूरत मन,
मैं तेरा बरसों का ख़्वाब,
तूने अपने इरादों को परें रख,,
थोड़ा सा गौर किया होता,
मिलना याद होता !
ऐ मेरे लौट आने पर मुझे
सितमगर कहने वाले,
फुरसत के लम्हों में इश्क फरमाने वालें,,
तुझे ज़रा सी फुरसत नहीं,
तूने मेरा इंतज़ार ज़रा तो किया होता!!