हमसे अपनी नजरो को ना चुराया करो ,
कभी होठो पे मेरा नाम भी सजाया करो!
पिते हैं जाम से तो हर वक्त हम ,
कभी इन मस्त आँखों से भी पिलाया करो।
हम जानते हैं तुम्हारी शबाबा की आग,
को फिर भी कहेगें तुम हमे जलाया करो।
भले कुछ ना दिखा इस जमाने को तुम,
मगर हमसे ना साहिब कुछ छिपामा करो।
सामने देख खड़े हैं तेरे चाहने वाले ,
समझ के गैर हमें ना पलके झुकाया करो।