उन्हें पुकारा गया
शहर या गाँव के नाम से
बहराइच वाली, सहारनपुर वाली, बनारस वाली, मेरठ वाली...
कभी बच्चों के नाम से
रानू की माँ, शिवम की माँ, रेखा की माँ...
पति के पेशे से भी हुई इनकी पहचान
मास्टरनी, डाक्टरनी, मील वाली, भट्टा वाली...
तो किसी ने कहा
विधवा, बाँझ, बदचलन, बेहूदा या ख़राब औरत।
औरतें जो खपती रहीं
मकान को घर बनाने में
जिम्मेदारियाँ निभाने में
पति के नख़रे उठाने में
बच्चों को लायक बनाने में
ताउम्र कोई नहीं जान पाया
उनका असली नाम
सिवाय घर की एक दीवार के...
यहाँ लटकी हुई तस्वीर में वो साथ झूलता है।