कितना बेबस हूं तेरे प्यार में
तारे गिनता हु तेरे इंतजार में
कुछ कमी थी मेरे इजहार में
क्यों एहसास नहीं तेरे इकरार मैं
तड़पता रहता हो कर बेकरार मै
बहक जाता हु याद कर रुखसार मै
एक शाम मिले थे हम इतवार मैं
तू भी था मेरे ही इख्तियार में
आंधी आई सबकुछ बिखर गया
बाकी ना रहा कुछ इस संसार में
- गुमनाम शायर