एक एहसास से दोस्ती तक
एक एहसास था, जो दिल के करीब था,
पर दिमाग ने कहा, "ये सही नहीं है, ये अजीब था।"
बातों में मिठास थी, हँसी में एक रौशनी,
पर अंदर कहीं थी, अनकही सी बेचैनी।
दिल ने चाहा, थोड़ा और पास जाना,
पर ज़माने के तानों का डर था पुराना।
माता-पिता तो अपने हैं, उनकी खुशी सबसे ऊपर,
दुनिया चाहे जो कहे, पर सम्मान रहे हर स्तर।
तो एहसास को मोड़ दिया, एक नई राह पर,
जहाँ दिल भी खुश रहे, और न आए कोई आहट डर।
अब ये रिश्ता दोस्ती का है, प्यारा और सच्चा,
जहाँ प्यार की कोई बंदिश नहीं, बस अपनापन अच्छा।
💕 – एक एहसास से दोस्ती तक, दिल भी खुश और दुनिया भी। 💕