चंचल मन की हर बात निराली
बैठे बैठे सपने दिखलाए भारी।
कभी आसमान की सैर कराएं
कभी रानी बन गद्दी पर बैठाए।
तितली समान इत उत इतराएं
सुनहरे ख्वाब दिखा मन को हर्षाएं।
चंचल मन नित नई लालसा जगाएं
बेकाबू हो मुसीबत में फंसाएं।
जिसने कर लिए इसको वश में
उससे बढ़कर नहीं कोई जग में।
सरोज ✍️
- Saroj Prajapati