चलता फिरता मशीन बन जाता है
इंसान जब जिम्मेदार बन जाता है
आईने में तलाशता है खुद को
मासूमियत ना जाने कहाँ खो जाता है
कल तलक तो हस्ता रहता तो लोगों के बीच में
अब क्यों दिल खामोश हो जाता है
पहले सुनाते थे हाले दिल सभी को
अब तो दिल हालात अपने सबसे छुपाता है