नया वर्ष मंगल करे, दो हजार पच्चीस।
खुशियों की माला जपें,मिटे सभी की टीस।।
भारत-भू देती रही, अनुपम यह संदेश।
सकल विश्व में शांति हो, मंगलमय परिवेश।।
सुख वैभव की कामना, मानव-मन की चाह।
प्रगतिशील जब हम बनें, मिल ही जाती राह।।
सत्य सनातन की विजय, दिखती फिर से आज।
दफन हुए जो निकल कर, उगल रहे हैं राज।।
समृद्धि-मार्ग पर है बढ़ा, भारत अपना देश।
चलने वाला अब नहीं, छल प्रपंच परिवेश।।
महाकुंभ का आगमन, कर गंगा इस्नान।
जात-पात से दूर रह, रख मानवता मान।।
मंगलमय की कामना, हम सब करते आज।
सकल विश्व में हो खुशी, सुखद शांति सरताज।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज *