दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*अविश्वास, रामायण, विद्या, नेकी, कालचक्र*
*अविश्वास* के दौर ने, बड़ी खींच दी रेख।
संबंधों की बानगी, समय बिगड़ता देख।।
*रामायण* के पात्र सब,बहुविध दें संदेश।
यश अपयश की राह चुन, हम बदलें परिवेश।।
*विद्या* पा जाग्रत करें, अपना ज्ञान विवेक।
जीवन सफल बनाइए, राह बनेगी नेक।।
*नेकी* की दीवार से, गढ़िए नए मुकाम।
मानवता समृद्धि से, खुश होते श्री राम।।
*कालचक्र* अविरल चला, गढ़ी गई यह सृष्टि।
फिर उदास किस बात पर, बदलें अपनी दृष्टि।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*