रण में गर हो
तो वार करो।
रक्त रक्त तलवार करो।
ये युद्ध महा भीषण होगा।
विपदा , परिहास सतत होगा।
पर तुम किंचित घबराना न।
तुम अपना ध्यान डिगाना न।
याद रखो हल्दी घाटी और
राणा प्रताप और चेतक को।
जो तिल तिल कर के कटा मिटा
पर डिगा नहीं वो एक पल को।
जाओ जाकर विजई होओ।
विजय पताका लहरा दो।
केसरिया की लाज रखो।
और माटी को ये बतला दो।
है रक्त प्राण मज्जा जब तक।
तब तक ये वार सतत होगा।
तब तब एक आंधी डोलेगी।
तब तब ये अम्बर बोलेगा।
हम जीत चुके हैं पहले से।
तुम अपनी हार स्वीकार करो।
रण में गर हो
तो वार करो।
Anand tripathi