संदर्भ-गीता-४
राधा का स्पर्श मिला तो
प्रेमी बन रह जाते हो,
युद्ध भूमि के मध्य खड़े
त्रिकालदर्शी हो जाते हो।
रण भूमि के बीच पार्थ
कर्म पर अधिकार श्रेष्ठ ,
यह मंतव्य तुम्हारा केशव
मन मानता संबंध श्रेष्ठ।
केशव जीवन साथ है
मृत्यु कब तक शेष है!
इस महाज्ञान के सागर में
क्यों यह कर्म महान है!
कह दो केशव मूल मंत्र को
मैं प्रश्न हूँ, तुम उत्तर हो,
जो कहा न गया वह तुम हो
जो अज्ञेय है वह तुम हो।
*** महेश रौतेला