मंज़िल की तलाश मे,
हाथ थामकर चलने को,
मंद मंद मुस्काती है...
उम्मींद की अधखुली खिडकी से
रोशनी भर जाती है...
हर सांस जीने का
मौका नया दे जाती है,
ये जिन्दगी है,
जीने का सबक सिखाती है...
भीड में खो जाती है,
तन्हाई में रुलाती है...
आज़ादी की उड़ान देने,
बलिदान कुछ ले जाती है...
झुकी कमर की लाठी बनकर,
नई सांस भर जाती है...
फुर्सत के लम्हें संजोकर,
अहसास सुकुं का दे जाती है ...
ये जिन्दगी है,
जीने का सबक सिखाती है..
Swati..12/10/24