गैस सुब्सीडी खत्म, मीडिया खामोश है
महंगाई भत्ता कम या रोक दिया गया
मीडिया खामोश है
Fd के रेट छ फीसदी से कम, मीडिया खामोश
मीडिया क्या लिखता है, देखिये न..
फ्लाने नेता ने गिटार बजाई, (तालियां)
उस नेता के कुत्ते ने ice क्रीम खाई, (तालिया)
फलाने अभिनेता ने फलाने को गाली दी
(तालियां)
मंदिर मे सौ दिया जलाये गए आदि
आप ही सोचिये
मीडिया को क्या पड़ी आपकी मुश्किलों की
उन्हे कट मिल रहे है या दो तीन मिनट के विज्ञापन
यानी एक एक करोड़ से ज़्यादा का एक विज्ञापन, रोज़ कई बार दिखाया जाता है
आपका मेरा पैसा, टैक्स का पैसा कहाँ जा रहा है, सोचिये न
जो विपक्ष पॉजिटिव रोल कर सकता था उसी को आंदोलन प्रेमी बताया जा रहा है
या और कई नाम दिये जा रहे है
एक ही पार्टी की बुराई विपक्ष को न सुनना
सरकारी कर्मचारियों की वाट लगाओ
कोई सरकार तब तक ही चलती है जब तक जनता के प्रति जवाब देह होती है
किसान आंदोलन के आप साथ हों या नही, पर उनको अजीब नाम दिया जा रहे है
मीडिया का रोल भी संदेह मे आ रहा है
यह कब तक होगा?
कब तक?
कब तक?
कब तक हम लल्लू बने रहेंगे?
कब तक?