विषय : कुछ फिर
कुछ सपने टूट गए ,
पर मैने हार नही मानी,
कुछ अपने छूट गए,
पर मैने जीना नही छोड़ा,
कुछ बहुत अज़ीज़ चला गया,
पर जीवन को फिर अपनाया।
कुछ आशाएं मर सी गई,तो
कुछ समय रोते धोते बाद,
खुद को फिर संभाला।
कुछ अंदर मरता गया,
वक्त के साथ उसे फिर जिंदा किया,
जो सपने कल तक भूल गई थी,
आज उसे फिर हवा दे दी,
कुछ अल्फाज गुम हो गए थे,
उन्हें आज फिरे हासिल कर लिया।
कुछ वक्त के जीने के मायने बदल गए थे,
लेकिन आज फिर खुद के जीना सीख लिया।
कुछ वक्त चला मायूसी का दौर,
लेकिन फिर खुशी का दामन थाम ही लिया।
कुछ वक्त किया इंतजार ना हासिल चीजों को पाने का,
फिर वक्त रहते समझ आ गया है,
जो तेरे बस मैं नही , उसे पानी की कोशिश तो
केवल समय की बरबादी है।
कुछ फिर खो दिया तो कुछ फिर पा लिया
जिंदगी से बड़ा सबक पा लिया, की।
थोड़ा खुद के लिए जी। थोड़ा खुद के लिए जी।