दुनियां में तरह तरह के लोग,
कब किसकी लग जाए हाय।
ज्यादा किसी का साथ नहीं है,
चलते चलते सबको गुडबाय।।

शुभरात्रि
मिश्री

-किरन झा मिश्री

Hindi Shayri by किरन झा मिश्री : 111944884
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