Hindi Quote in Poem by mehmood khan

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क़ीमत....


उसने जुलेखा की तरह कीमत लगाई मेरी,
मैं ता उमर जिसकी आंखो में डूबा रहा।

उन्ही हाथों में कत्ल का सामान मिला मुझको,
मैं अपना समझ कर जिनको गले लगाता रहा।

सारी अछैयां धारी की धारी रह गईन,
जब उसने भरी बजम मुझको बेवफा कह दिया।

जिंदगी हमने गुजर एक कसम के वास्ते,
ज़माना फिर भी मेरा नाम फ़रेब लिखता रहा,

जन्म से लेकर मौत तक सब झूठ है इस जहां में,
बस दर हकीकत एक मर्ग-ए-बिस्तर है,
ता उमर दिल को यही बात समझ आ रहा है।


By-M.A.K

Hindi Poem by mehmood khan : 111942952
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