जब कभी लिखूंगा, जिंदगी पर
एक किताब लिखूंगा,
टूट कर बिखरा हूं ये बात लिखूंगा.
बड़े खुलूस से मारा है मुझको,
जिस्म का हर ज़र्रा दर्द की चुभन
से ओझल है
दिल का ये साज लिखूंगा.
कुछ इश्क में टूट गए,कुछ अपनों ने
तोड़ दिया,
जिंदगी की हर बाजी जीत कर हार गए,
वक़्त के कोरे कागज़ पे,
लाओह-ए-कलम से अपनी दास्तान लिखूंगा.
जब कभी लिखूंगा जिंदगी पर
एक किताब लिखूंगा.
By-M.A.K