Hindi Quote in Poem by Aarti Sirsat

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#Justice

बहुत अलग हूँ मैं इस दुनिया से
हर किसी पर भरोसा करने से डर लगता है...
इस जमाने के इंसान को
पहचानने में बहुत वक्त लगता है...

कोई रंग नहीं जो
आसानी से घूल जाऊँ...
मैं कोई धूल नहीं जो
जमीं में मिल जाऊँ...

अभिमान बहुत है मगर
स्वभिमान से जीना है...
सीता तो नहीं मगर
अग्नि परीक्षा रोजाना है...

हजारों दर्दो को तकिएँ तलें
छोड़कर फिर से नये दर्दो से उभरना है...
एक नहीं दो परिवारों को
संग लेकर चलना है...

एक फूल हूँ उस बगियाँ का,
तोड़कर कहतें हो,
कोई पीड़ा नहीं होगी
तुम्हारी लाडली को...

हर रोज का तुम्हारा
एक ही बहाना है...
दहेज तो नहीं लायी,
ओर कहती है पढनें जाना है...

कभी- कभी दम घुटता है
इन ऊंची- ऊंची दीवारों में...
खुली हवा भी कैसे खाऊं,
हैवान बैठे है सडक़ों के किनारों में...

अस्तित्व का पता नहीं
सब गँवा बैठी है जिम्मेदारियों में...
खुद की उम्र का पता नहीं
उलझी बैठी है जवाबदारियों में...
...आरती सिरसाट

Hindi Poem by Aarti Sirsat : 111935256
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