चापलूसी मात्र चापलूसी नहीं है। एक चापलूस व्यक्ति सिर्फ़ चापलूसी नहीं जानता उसे राजनीतिक दाँवपेच आते हैं ,वो कूटनीतिक चालें चलना जानता है , चौकन्ना रहता है ,वो इस बात की पुख़्ता खबर रखता है कि वो जिसकी चापलूसी में लगा है वो किसे पसंद या नापसंद करता है। एक चापलूस व्यक्ति उस व्यक्ति को बराबर अपमानित या उपेक्षित करता रहता है , जिसे वो पसंद नहीं करता जिसके वो तलवे सहलाता है।चापलूसी एक कला है ,साधना है जो सब नहीं कर सकते क्योंकि इसकी सबसे पहली शर्त है कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का त्याग । आप जिसकी चापलूसी में लगे हैं वो कभी आपको पुचकारेगा तो कभी दुत्कारेगा।अगर आपमें सहनशीलता है तो आप उनकी दुत्कार सह पाएँगे। और ऐसे ही आप लाभान्वित भी होते रहेंगे और जीवन भी खुशहाल हो जाएगा । समय के साथ लोग आपकी चापलूसी में लग जाएँगे और इस तरह चापलूसों का कारवाँ बन जाता है। यक़ीन मानिए ऐसे कई चापलूसों की ज़िंदगी खुशहाल होते हुए देखी है जिन्हें अपनी योग्यता से अधिक सब मिला थोड़े परिश्रम से जबकि आत्मसम्मान की डींगें हाँकते लोगों को फाका मारते ही देखा है वे अपनी थोथी अकड़ में रहते हैं और जीवन भर अपने काम के लिए प्रशस्ति शब्दों की अपेक्षा कराटे हैं। उनकी धरातल स्तर पर की गई मेहनत कोई नहीं देखता या लोग देखकर भी नज़रअंदाज़ कर देते हैं। जबकि चापलूस के लिए कुछ भी पाना असंभव नहीं है। हमारे देश की राजनीति हो या कोई भी विभाग सब जगह चापलूस पाये भी जाते हैंऔर भाये भी हैं । ये वो लोग हैं जो हर वक्त अपने कंधे ,कमर ,सिर तैयार रखते हैं अपने रहनुमा का बोझ उठाने को ।🙏🏻🙏🏻