हम सभी याचक है। हम याचना ही हैं । याचना का केवल प्रारुप बदलता है । कुछ प्रत्यक्ष! कुछ अप्रत्यक्ष! कुछ शब्दों में! कुछ मौन में। कुछ माँग कुछ न माँगने की भाव याचना । जो रहित है वह स्थिर है वह है अथवा नहीं है व्याप्त -अव्याप्त है ।। श्रीमद्भागवत चिंतन

-Ruchi Dixit

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