साहित्यिक परिचय- ---------------------------- नाव- अरुण वि .देशपांडे जन्म-दिनांक- : ०८ आगस्त - १९५१. वास्तव्य - बावधन -(बु)- पुणे -२१ ------------------------------------------------------------------------------ लेखनास आरंभ- १९८३- ८४ पासून . लेखन-प्रकार- कथा - कविता , विनोदी-कथा ,संत-साहित्य , साहित्य-समीक्षा,ललित आणि प्रासंगिक लेखन , तसेच- बाल-साहित्याचे प्राधान्याने लेखन. यात - बाल-कथा ,बाल-कादंबरी, बाल-कविता , अनुवादित बाल-साहित्य , आणि चरित्र -लेखन ------------------------------------------------------------------------------- प्रकाशित साहित्य - १.कथा-संग्रह- १. कुरूप रंग , २.रंग तरंग , ३, अनुपमा , ४. रंग फसवे , ५. रंगपंचीविशी , ६. नवऱ्यांची चाळ- (विनोदी कथा ), ललित लेख संग्रह : १. मनाच्या अंगणात कविता संग्रह. - १. गानेदिवाणे , २. मन डोह, ३ - शरण समर्था जाऊ (भक्तीगीतं संग्रह ) ३.नव -साक्षर साठी - ४ पुस्तके. ४. संतकवी दासगणू वांग्मय-दर्शन (आस्वाद- समीक्षा ) ५. बाल-साहित्य मराठवाड्याचे - नवे स्वरूप- नव्या वाटा . (बाल-साहित्याचा २००८-०९ चा बालसाहित्य समीक्षेचा राज्य-पुरस्कार).,

बहुभाषिक कवी सम्मेलन -सहभागीता- रचना- बिना संघर्ष कुछ नही
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संघर्ष जिंदगीका सत्य रूप है
कदम कदम पर होती है परीक्षा
अग्नी परीक्षा मे निखरे है सोना
वैसे ही संघर्ष मे है हमारी परीक्षा ।

सपने लुभावने, मन को आनंद देते
सचाई मे खरे करना है अपने सपने
तो बिना संघर्ष पुरे ना हो यह सपने
कल आज और कल ,यही देखा हमने ।

संघर्ष होता है विचार-धारा के बीच का
संघर्ष बहोत पुराना अमीर-गरिबीका
नये -पुराने तो झगडे है बात बात पर
संघर्ष है यहा निरंतर परिस्थितीयो का ।
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रचना- बिना संघर्ष कुछ नही
कवी-अरुण वि.देशपांडे-पुणे (महाराष्ट्र)
9850177342

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कविता- प्रीत जागते अंतरी
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असता तू समोरी प्रीत जागते अंतरी
पाहिले तुज किती मन ना भरते तरी

प्रेमात मन पडता जादू नवीन घडे
बंधन प्रेमाचे मधुर मना खूप आवडे

द्यावी साथ तू असे आस हीच अंतरी
असता तू समोरी प्रीत जागते अंतरी

भावुक हळवे स्वप्न तू सखी बावरी
भावविश्व अनोखे आकारले अंतरी

कोण तू ,कोण मी, ना उरले काही
दोन मने एक झाली बाकी ना काही
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नमस्कार वाचक मित्रांनो
मध्यंतरीच्या लेखन-विश्रांतीसाठीच्या ब्रेक नंतर
या नवीन वर्षात -२०२३ नवे लेखन उपक्रम सुरू करून आपल्यासाठी लवकरच लेखन आरंभ करतो आहे.
नेहमीप्रमाणे आपणा सर्वांचे प्रोत्साहन असू द्यावे ही विनंती.

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"तुम्हारी यादे-

हर बार मिलो तुम
बस हसकर मिलना
चाहते प्यार की
ऐसे ही जताते रहना

-Arun V Deshpande

रुबरु नही मिल सकते हम तुम कभी
बस दे सकती हो बेकरार दिल को
राहत अपने चाहत की
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-Arun V Deshpande

नमस्ते-
#पल
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याद करे है मन यह पल पल तुझे
खयाल तेराही जानम रिझाए मुझे ।।
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-अरुण वि.देशपांडे-पुणे
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-Arun V Deshpande

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नजर
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देखता ही रहू मै
मुस्कान भरा चेहरा
नजर मे दिखे है
चमक प्यार की
होटोपर इकरार तेरा
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-Arun V Deshpande

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नमस्ते-
होली शुभ कामना

नमस्ते सबको