दो रंग से ही वह रूठा था
क्या प्यार हमारा झूठा था
दो लफ्ज़ ही कहने में यह कितना डरता है
पानी से भी यह तो कितना डरता है
एक बूंद गिरे तन पे फिर बौछार भी सहता है
ताल में तो कई फूल खिले इक फूल ही टूटा था
क्या प्यार हमारा….
दुनिया में दो ही रंग बना राजा से वह रंक बना
जग के प्रश्नों से छला गया सत्य वचन का ढंग बना
दो रंग से ही मुझको को कोपभवन जा लूटा था
क्या प्यार हमारा
-Vikash 'Bihari'