क्यू चुनता हे एक इंसान खुदखुशी का रास्ता?
क्या उसे किसी से नहीं रहति हमदर्दी या वास्ता ।
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न जाने कितना घुटा होगा कितनी होगी उनकी दर्द-ए- दास्ता ,
इतना बड़ा कदम उठाया होगा जब बढ़ गया होगा जिंदगी का बस्ता ।
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आसान नहीं होता निर्दोष होते हूए भी खुद को मोत की सजा देना,
ना जाने कितनी आत्माहत्याये कहती हे कईयो की कारश्ता ।