तुम साथ थे तो सबकुछ संग साथ था,
जीवन का कुछ अलग अलग ही रंग था।
दुःख सुख का लगता मरहम,
सुख का लहरता था परचम।।
नैनो की पुतली चढ़ कर,
नज़रों में समा जाओ।
तुम हो छिपे जहां भी,
अब पास तो आ जाओ।।
अब फूल भी हैँ शूल मुझे,
सब कहते जाऊं भूल तुझे।
पीड़ा मन में ऐसी बारम्बार उठे,
ज्यों तेज़ हवा से कोई रौशनी बुझे।।