बहुत उलझ गये थे हम,
चांद के लिए तरस रहे थे हम
शुभ दिन शुभ घड़ी आ गई
चांद को छूने की बारी आ गई
बहुत लोग कामना कर रहे थे
चंद्रयान की शुभकामनाएं कर रहे थे
कुछ बेवकूफ मजाक करते थे
उसके मुंह पर तमाचा जड़ चूकें हम
भारत देश की गौरव कहानी
अब की बार आदित्य की बारी
गौरवशाली इतिहास रचाया
घर घर जय हिन्द जय भारत का नारा
हर एक के मुख पर खुशियां ही खुशियां
हर हर महादेव, संशोधन की बारी
जय हिन्द 🙏 वंदेमातरम 🙏
स्व रचित रचना - कौशिक दवे 🙏🙏🙏
-Kaushik Dave