नयी सोच नयी उडान
मैं अपने जन्मदिवस पर चिंतन करता हूँ कि जहाँ जन्म है वहाँ एक दिन मृत्यु का होना भी निश्चित है। मैं हमेशा जन्मदिवस पर मानसिक रूप से अपने सेवा, समर्पण, त्याग और सत्कर्मों के विषय में सोचता हूँ और प्रयासरत रहता हूँ कि सदभावनाओं के दीप प्रज्जवलित होकर जन्मदिवस इनकी रोशनी से जगमगाए और हमें नयी प्रेरणा दे। मैंने इस वर्ष अपना 69 वां जन्मदिवस माँ नर्मदा कृपा से कुछ अभिनव रूप से मनाया। इस अवसर पर हमारे परिवार द्वारा सनातन संस्कृति का पालन करते हुए चिन्मय मिशन रीवा के ब्रम्हचारी शिवदास जी महाराज के सानिध्य में विष्णु सहस्त्रनाम अर्चना का आयोजन किया गया जिसमें हमारे नजदीकी परिचितों को भी आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम समापन के पश्चात 69 पक्षियों को बच्चों के द्वारा पिंजडों से मुक्त करके उन्मुक्त गगन में छोडा गया। इस कार्य के माध्यम से मुझे अत्यंत संतुष्टि और आनंद प्राप्त हुआ और बच्चे भी बहुत उल्लासित हुये।
पक्षी विक्रेता द्वारा इतनी अधिक संख्या में पक्षी खरीदने पर एक पक्षी और मुफ्त में दे दिया गया था। जब हम पक्षियों को घर पर लाये तो बाकी पक्षी तो उड गये परंतु वहीं एक पक्षी नही उड पा रहा था। मुझे महसूस हुआ कि शायद यह पक्षी बीमार है और इसे वापिस कर देना चाहिए यह सुनकर मेरा एक कर्मचारी बोला कि साहब बीमार होने के कारण यदि आप इसे उन्हें वापिस कर देंगे तो हो सकता है कि वे इसे मार दें अतः इसे आप मुझे दे दीजिए और वह उसे अपने साथ ले गया। उसकी सेवा एवं उचित इलाज के कारण कुछ ही दिनों में वह ठीक होकर उड गया। इस प्रकार प्रभु कृपा से एक जीव की जीवन रक्षा भी हो गई। उस कर्मचारी की सेवा भावना देखकर मुझे लगा की आज भी दुनिया में करूणामयी सेवाभावी लोगों की कमी नही है जो कि सेवा के लिये सदैव तत्पर एवं समर्पित रहते है।