ये स्वतंत्रता, ये प्यार
हमें मिलते रहें,
यह गंगा,यह कावेरी,
यह ब्रह्मपुत्र, यह गोदावरी,
हमें धोते रहें ।
यह भाषा, ये गीत
हमें जगाते रहें,
यह त्याग, यह बलिदान,
हमें उठाते रहें,
ये देश, ये कर्म
हमें बुलाते रहें ।
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*महेश रौतेला
१४.०८.२०११