चलते जा रे राही, चलते जा रे ।
इक बार भी ना तू रूकना रे , इक बार भी ना तू झुकना रे ,
भूल न अपना लक्ष्य इस बार,
छोड़ न अपनी आस इस बार,
हार को न तू गले लगा, शूल को तू हाथों में सजा,
विश्राम न मरहम इस दर्द का,
विलास न पानी इस प्यास का
जो पाना है हासिल कर ले, खुद को अपनी नज़रों में खड़ा कर ले ।
माना मंज़िल आसान नहीं
माना सहयोगी साथ नहीं
तो क्या ! तू साथ है खुद के रे
खुद दवा मर्ज़ की अपनी रे
अपने साथ न फिर तू वो दोहरा, जिस कारण जीवन तेरा ठहरा ।
उठ जाग फिर से आस जगा ,
उठ भाग फिर से आग लगा
खुद में खुद को ही बंद न कर, उड़ने दे खुद को,
आजाद तू कर
अपनी राह से कंकर तू चुन ले
इक आखिरी कोशिश, तू कर ले
इस राह पे खुद को यूं झोंक दे, राह औ' राही पता न चले
चलते जा रे राही चलते जा रे ।