सोए थे भरी नींद में क्या से क्या हो गया,
नींद खुली किसी की और किसी के साथ हादसा हो गया,
बुद्ध,महावीर, भगवान भी कर्म में विश्वास रखते थे,
भलाई करके लोगो की पुण्य का स्वाद चखते थे,
आकर यहां कोई रंक और कोई बादशाह हो गया,
नींद खुली किसी की और किसी के साथ हादसा हो गया,
समय का चक्र यहां किसी के लिए रुकता नहीं,
समय के साथ चले सफल यहां होता वहीं,
कोई चंद्र जैसा तो कोई सूर्य सा हो गया,
नींद खुली किसी की और किसी के साथ हादसा हो गया,
मौके सभी को यहां एक जैसे मिलते है,
कोई कांटो की तरह तो कोई फूल जैसे खिलते है,
कोई कीचड़ का कीड़ा तो कोई कमल सा हो गया
नींद खुली किसी की और किसी के साथ हादसा हो गया,
सोए थे भरी नींद में क्या से क्या हो गया,
नींद खुली किसी की और किसी के साथ हादसा हो गया,
-------- अमित वडगामा "अटल"