एक उम्र गुजरने के बाद भी याद आते हो,
बिना मौसम तुम बरसात बन के आते हो,
मैं उजड़ा जैसे गुलशन के चमन का फ़ूल,
तुम हरपल इक नई बहार बन के आते हो,
बीतती रात का ठहरा पल नज़र आते हो,
टूटे ख्वाबों का पुराना कल नज़र आते हो,
मुश्किलें तमाम पीछे पड़ीं हों मेरे लेकिन,
हमेशा मुसीबत में तुम हल नज़र आते हो,