प्यार! प्यार नहीं, जरूरत है।।।।।
कितना भी कह लो मैं तुमसे प्यार करता हूं,
कितना भी कह लो मैं तुम्हें याद करता हूं,
मगर ये कहने के पीछे भी, कोई और सूरत है,
तो प्यार, प्यार नहीं, जरूरत है।।
चाहे कितना भी वक्त तुम साथ में बिता लो,
चाहे कितना भी एक दूजे को गले लगा लो,
लेकिन ये करने के पीछे भी, कोई और मूरत है,
तो प्यार, प्यार नहीं, जरूरत है।।
चाहे कसकर पकड़ लो एक दूजे का हाथ,
कितने भी करलो वादे कि ना छोड़ोगे साथ,
अगर उसके बाद भी आंखें, कहीं और घूरत हैं,
तो प्यार, प्यार नहीं , जरूरत है।।
कितना भी बाहर में तुम्हारी सोच मिलती हो,
चाहे कितनी भी तुम्हारी जोड़ी खिलती हो,
पर फिर भी यदि ,अंदर में तुम्हारे बदसूरत है,
तो प्यार, प्यार नहीं, जरूरत है।।
दिल में हो खोने का डर, व उसे पाने की मन्नत,
भले तुम कभी ना दिला सको उसे कोई जन्नत,
मगर फिर भी तेरे दिल में प्यार की नूरत है,
तो प्यार, प्यार है, न कि जरूरत है।।