अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
नैनों के सपने पूरे होना है बाकी, कर्मों का फल अभी मिलना है बाकी
इतनी जल्दी मैं कैसे रुक जाऊ, अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
वक्त भी अपनी ही वस्ल में रहा, मुकदर भी अपने ही निशां बना रहा
इतनी जल्दी मैं कैसे उम्मीद खो दूं, अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
साहिल पे रेत के निशान है बने , समुंदर की लहरों में समा गए सब निशान
अब उन अवशेषों के साथ कैसे जीऊं, अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
महका है दिल फूलों की तरह, खिला है जीवन गुलाब की तरह
काटों से मिले दुःख को कैसे संभालुं, अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
राह में खड़े है सप्त ऋषि, उम्मीद है मिली जुगनुओं सी यहीं
मन के अमावस से कैसे बाहर आऊं, अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
मौसम ने भी रुख है बदला, फिज़ा भी मेरी बादशाहत में चला
इतनी जल्दी आब्दारी हिया में कैसे उतरे, अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
इम्तेहां ले चुका है पल, सब्र सिखा गया है वक्त
जीवन का सफर है कर्मठपन का, अभी तो आधा दिन और पूरी रात है बाकी
कुमार