जब से मेरी जिंदगी में तुम आये सनम

नहीं पड़ते हैं जमीं पर मेरे कदम

न जाने किस दुनिया में खोये हैं हम

रखने है कहीं और कहीं रखते हैं कदम

Hindi Shayri by S Sinha : 111824486

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